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प्रधानमंत्री का वैश्विक चुनौतियों पर स्पष्ट दृष्टिकोण

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अनिल त्रिगुणायत

संयुक्त राष्ट्र महासभा में प्रधानमंत्री मोदी ने एक विश्व नेता के रूप में संबोधन दिया है. उन्होंने सभी मुख्य मुद्दों को दुनिया के सामने रखा है |

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया अमेरिका यात्रा बीते सात वर्षों में सातवीं यात्रा रही | इस दौरे में राष्ट्रपति जो बाइडेन से बतौर राष्ट्रपति उनकी पहली बार मुलाकात हुई और यह आमंत्रण राष्ट्रपति बाइडेन का ही था | बीते दो दशकों में भारत और अमेरिका का द्विपक्षीय संबंध बहुत आगे बढ़ गया है और यह व्यापक वैश्विक रणनीतिक सहभागिता का रूप ले चुका है | पिछले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में तीन आधारभूत समझौतों पर हस्ताक्षर हुए थे |

प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा कई मायनों में अहम है | इस दौरान उनकी तीन तरह की बैठकें हुई हैं- द्विपक्षीय वार्ता अमेरिकी राष्ट्रपति तथा जापान और ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्रियों के साथ हुई, एक शिखर बैठक क्वाड समूह के चार सदस्य देशों के नेताओं के बीच हुई तथा तीसरा आयोजन बहुपक्षीय था, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया |

यह दौरा ऐसी पृष्ठभूमि में हो रहा है, जब अफगानिस्तान से निकलने के घटनाक्रम से अमेरिका की साख को झटका लगा है. दूसरी पृष्ठभूमि यह रही कि कुछ दिन पहले ही अमेरिका ने ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के साथ त्रिपक्षीय सुरक्षा समझौता किया है |

इनसे इस दौरे के संदर्भ निकलते हैं | अफगानिस्तान का मसला सीधे हमारी सुरक्षा चिंताओं से जुड़ा हुआ है | पाकिस्तान के रवैये पर विचार करना, आतंक को रोकने के उपाय करना तथा अफगानिस्तान में मानवीय सहायता पहुंचाना जैसे आयाम इसके अहम हिस्से हैं | इन वार्ताओं में इस पर भी विचार हुआ कि तालिबान को मान्यता अगर दी जाती है, तो उसके आधार क्या होंगे |

सभी देशों की चिंता है कि अफगानिस्तान में आतंक की उत्पत्ति और उसका निर्यात न हो | भारत ने 1996 से 2001 की अवधि में देखा है कि कैसे पाकिस्तान के नापाक इरादों ने उसके लिए खतरा पैदा किया था | भारत उस आतंक के दौर के अनुभव से जानता है कि आगे की आशंकाएं क्या हो सकती हैं | दूसरा अहम मुद्दा चीन का रहा, जो सबके लिए सरदर्द बना हुआ है. इस पर हर स्तर पर बातचीत हुई है |

इन मुद्दों के साथ जलवायु परिवर्तन और कोरोना महामारी वार्ताओं के महत्वपूर्ण विषय रहे | इन सभी मामलों पर प्रधानमंत्री मोदी ने भारत का पक्ष विश्व समुदाय के सामने रखा है | महासभा के संबोधन में उन्होंने चीन और पाकिस्तान का नाम तो नहीं लिया, पर द्विपक्षीय और क्वाड बैठकों पर सभी पहलुओं पर चर्चा की गयी |

जैसा कि विदेश सचिव ने बताया है, प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस के बीच वार्ता में खुद हैरिस ने कहा कि आतंक की रोकथाम पर पाकिस्तान को अधिक ध्यान देने की जरूरत है | इसका अर्थ यह है कि भारत की इस बात को अमेरिका समझ रहा है कि आतंक की समस्या की सारी जड़ पाकिस्तान है | पाकिस्तान तालिबान की सरपरस्ती करता है, खासकर हक्कानी नेटवर्क जैसे उसके घटकों की |

क्वाड की शुरुआत एक सुरक्षा संवाद से हुई थी | सुनामी की आपदा के समय अनौपचारिक तौर पर इस प्रक्रिया का प्रारंभ हुआ था | फिर लगभग एक दशक तक यह हाशिये पर रहा और उस अवधि में चीन ने अपने वर्चस्व का व्यापक विस्तार कर लिया | प्रधानमंत्री मोदी सिंगापुर के शांगरी-ला संवाद के समय से ही कहते रहे हैं कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में मुक्त और सुरक्षित आवागमन होना चाहिए तथा नियमों के अनुसार अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का संचालन हो |

लेख पहली बार प्रभात भास्कर में छपा: वैश्विक चुनौतियों पर स्पष्ट दृष्टिकोण 03 सितंबर 2021 को|

लेखक के बारे में

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अनिल त्रिगुणायत, जॉर्डन, लीबिया और माल्टा में भारत के पूर्व राजदूत।

आईएमपीआरआई में प्रोफेसर अरुण कुमार को देखें

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